वर्षों से फोरेंसिक लैब में काम चलाऊ व्यवस्था के तहत काम चल रहा है। यहां एक्सपर्ट की कमी को अब भी दूर नहीं किया जा सका है। हालात ये हैं कि दो साल पहले हैंडराइटिंग एक्सपर्ट के सेवानिवृत्त होने के बाद यहां कोई स्थाई एक्सपर्ट नहीं आया है। नतीजा यह है कि 100 से ज्यादा मामलों की जांच लंबित चल रही है। यही नहीं साइबर एक्सपर्ट भी लैब को ढूंढें नहीं मिल रहे।
लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी कोई विशेषज्ञ काबिल नहीं पाया गया। लिहाजा, पुलिस की दो महिला दरोगाओं को फिलहाल साइबर फोरेंसिक के गुर सिखाए गए हैं। बता दें कि नए कानून आने के बाद फोरेंसिक का महत्व और अधिक बढ़ गया है। घटनास्थल पर पुलिस के साथ फोरेंसिक एक्सपर्ट को भी पहुंचना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके लिए कवायद तो चल रही है। लेकिन, अभी पुरानी व्यवस्थाएं ही ठीक ढंग से पटरी पर नहीं आई हैं। वर्तमान में फोरेंसिक लैब देहरादून में विभिन्न विधाओं के 11 विशेषज्ञों की कमी चल रही है। इनके लिए परीक्षा आयोजित की जानी है। विभिन्न फर्जीवाड़े, सुसाइड नोट आदि में हैंडराइटिंग की जांच होती है। इसके लिए दो साल पहले तक लैब में विशेषज्ञ मौजूद थे।
यह काम तत्कालीन फोरेंसिक लैब के डिप्टी डायरेक्टर के हाथ में था। वह दो साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं। मगर उनके सेवानिवृत्त होने के बाद अब तक कोई स्थाई विशेषज्ञ लैब को नहीं मिल सका है। ऐसे में 100 से अधिक जांच लंबित चल रही हैं। मौजूदा समय में एक कर्मचारी को इसका प्राथमिक प्रशिक्षण दिया गया है। उसी के भरोसे धीरे-धीरे जांच पूरी की जा रही हैं।