हरीश थपलियाल, संवाददाता
उत्तरकाशी| नशे के सौदागरों के खिलाफ जारी अभियान में उत्तरकाशी पुलिस (Uttarkashi Police) अब तक 53 ग्राम स्मैक (Smack) को बरामद कर कई नशाखोरों को जेल भेज चुकी है. इंटरनेशनल मार्केट (International Market) में इतनी स्मैक की कीमत लगभग दस लाख है. इतना ही नहीं स्मैक के साथ-साथ चरस (Charas) का व्यापार भी चल रहा है. थाना कोतवाली पुलिस ने 33 ग्राम स्मैक पकड़ी है. जबकि मोरी थाने की पुलिस ने 2 किलो 8 सौ ग्राम चरस भी पकड़ी है.
पुलिस कप्तान आईपीएस मणिकांत मिश्रा ( IPS Manikant Mishra ) ने अभियान का उद्देश्य बताया कि उन्हें उत्तरकाशी जिले को स्मैक से मुक्त करना है. जिसके लिए वह युद्ध स्तर पर अभियान चला रहे हैं.
युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर आईपीएस मणिकांत मिश्रा ने दुख जताते हुए कहा –
“भारत ( India ) 29 वर्ष की औसत आयु के साथ सबसे युवा आबादी (Youth Population) वाला देश बन गया है. एक ओर जहां विश्व (World) की सबसे युवा आबादी वाला देश होना हमारे लिए गर्व की बात है, तो वहीं दूसरी ओर अधिसंख्यक युवा आबादी के एक बड़े तबके का नशे की फितूर में डूब जाना चिंता का विषय है. नशे का फितूर इतना खतरनाक होता है कि वह व्यक्ति को तब तक अपने आगोश में जकड़े रहता है, जब तक की नशे की गिरफ़्त में आए व्यक्ति का समूल नाश न हो जाए. व्यापक स्तर पर युवाओं में फैलती नशाखोरी मुख्य समस्याओं में से एक है. पाश्चात्य संस्कृति (Western Culture) और सिनेमा (Cinema) की नशाखोरी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. सिनेमा में ध्रूमपान (Smoking) जैसे दृश्य को धड़ल्ले से फिल्माया जा रहा है, जिसका प्रभाव किशोरों एवं युवाओं पर सर्वाधिक पड़ता है, हमारी युवा पीढी उसी से सीख कर ध्रूमपान एवं नशाखोरी को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना लेती है. जिस तरह पश्चमी देशों का समाज नशे को मॉडर्न (Modern) एवं प्रगतिशीलता (Progressiveness) की निशानी मानता है,ठीक उसी तरह 21 वीं शताब्दी (21st Centuary) के समाज में नशा पान स्वीकार्यता व्यापक स्तर पर बढ़ी है. यह कड़वी सच्चाई है कि अधिसंख्यक युवा आबादी नशे की लत का बुरी तरह शिकार हो रही है. नशा कई तरह का होता है, जिसमें शराब (Alcohol), सिगरेट (Cigrate), अफीम (Afeem), गांजा (ganja), हेरोइन (Heroine), कोकीन (Coaccine) , चरस मुख्य है. नशा एक ऐसी बुरी आदत है, जो किसी इंसान को पड़ जाए तो उसे दीमक की तरह अंदर से खोखला बना देती है. नशा से पीड़ित व्यक्ति मानसिक,आर्थिक एवं शारीरिक रुप से बर्बाद हो जाता है.”
स्मैक, चरस की तस्करी रोकनेके लिए हमारी पुलिस का अभियान जारी है. अभियान के तहत हमने कई अवैध स्मैक तस्करों को जेल भी भेजा है. इतना ही नही अब हम स्मैक के सेवन करने वालों पर भी कानूनी कार्यवाही करेंगे. यदि मेडिकल में स्मैक लेने की पुष्टि हुई. मादक पादार्थों पर अंकुश लगाने को हमें समाज के प्रबुद्ध जनों का सहयोग चाहिए होगा. खासतौर पर मेरा पत्रकार साथियों से अनुरोध रहेगा कि अवैध मादक पदार्थों की जागरूकता बढ़ाने में सहयोग करें. उत्तरकाशी जनपद शांति प्रिय जिला है.यहां नशाखोरों पर अंकुश लगाना हमारी प्राथमिकता है.
“मणिकांत मिश्रा, एसपी उत्तरकाशी”
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लॉक डाउन में काफी संख्या में बच्चे नशेड़ी बन गए है. बच्चों को ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल दिया तो उसका दुरुपयोग हो रहा है. सूंघने वाला,पीने वाला न जाने कौन-कौन सा नशा है. बच्चे ढीठ हो गए हैं न बच्चे मां-बाप की सुन रहे हैं न अध्यापकों की,तो नशे की कारबोर पर अंकुश लगना जरूरी है. इसके लिए शिक्षक समाज हो या सामान्य नागरिक इसको कैसे रोका जाए, इस पर सभी की भूमिका होनी चाहिए. आजकल के बच्चों ने तो पीढ़ी को ही खत्म करने की ठान ली है. पुलिस इसके लिए कड़ा कदम उठाए. मेरा पुलिस से अनुरोध है कि मादक पदार्थों पर विद्यालयों में कार्यशाला शुरू करवाए. "नत्थी लाल बंगवाल, प्रधानाचार्य" सरस्वती शिशु विद्या मंदिर इंटर कॉलेज चिन्यालीसौड़,उत्तरकाशी
पुलिस का यह अभियान जरूरी है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में एकांत जगहों पर पुलिस की गश्तें बढ़ाई जाएं. अक्सर इन जगहों पर बच्चे नशा करते है.जैसे कुटेटी वाली चढ़ाई, संगम चट्टी वाला क्षेत्र,महीडाण्डा को जाने वाली सड़क. यहां आपको बाइकों में बच्चे नशा करते मिलेंगे. दूसरा अब स्कूल खुल गए हैं. जो डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज,पॉलीटेक्निक आदि संस्थान हैं. इनके आसपास तस्करी करने वाले गिरोह सक्रिय रहते हैं. फिर इन स्कूली बच्चों को बेचने का प्रयास करते हैं. बाकी पुलिस तस्करों पर कार्यवाही कर रही है. इसे निरंतर रखना चाहिए बच्चों में नशे की लत दुर्भाग्यपूर्ण है. महेश पंवार,सोशल एक्टिविस्ट,उत्तरकाशी
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