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आज पहुंचेगी नंदा स्वनुल देवी अपने मायके के फ्यूंलानारायण मंदिर, जोशीमठ चमोली आज उत्तराखंड के सभी पार्वती जिलों में नंदा का उत्सव बड़े भव्य ढंग से मनाया जा रहा

आज पहुंचेगी नंदा स्वनुल देवी अपने मायके के फ्यूंलानारायण मंदिर जोशीमठ चमोली आज उत्तराखंड के सभी पार्वती जिलों में नंदा का उत्सव बड़े भव्य ढंग से मनाया जा रहा है वहीं पंच केदार के श्री कल्पेश्वर पंच बद्री के ध्यान बद्री के शीर्ष ऊपर 10000 फीट की ऊंचाई पर फ्यूंलानारायण मंदिर स्थित है यहां से आज प्रातः 6:00 बजे नंदा एवं स्वुनल देवी की छतोली मोलगडा,अतीस पटा मल्यूं,रोखनी बुग्याल होते हुए भनाई बुग्याल पहुंचीं यहां पर ब्रह्म कमल तोड़ने के लिए एक टीम गई ब्रह्म कमल की पूजा के बाद ब्रह्म कमल तोड़कर भनाई मंदिर लाया गया यहां पर भगवती स्वनुल देवी की पूजा अर्चना की गयी। ऐसी लोक मान्यता है कि भगवती स्वनुल देवी का मूल स्थान सोना शिखर पर्वत है भगवती को वहां से 6 माह के लिए मायका बुलाया जाता है लोगों की ऐसी आस्था है कि भगवती अपने सोने के पालकी में अपने देवगणों के साथ अपने मायके की ओर आती है भनाई मंदिर में एक शीला है जिसे “मस्कवस्यांण”शीला कहा जाता है एक देवकन्या आज से हजारों वर्ष पहले श्रीनगर में एक ब्राह्मणी के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ था वह जन्म से ही बोलने लगी थी और उसने अपने जन्म के पांचवें दिन में कहा था कि मैं 7 दिन के बाद में ऊंचे हिमालय की ओर चले जाऊंगी और ऐसा ही हुआ उसे कन्या के 7 दिन जन्म के बाद वह कैलाश की ओर चले आयी ऐसी मान्यता है कि भनाई बुग्याल में इस शीला के पास इस देवकन्या ने अपने प्राण त्याग दिए थे ऐसी मान्यता है कि देवकन्या को आकाशवाणी हुई की यहीं पर अपना शरीर त्याग दो। एक कहानी यह भी है कि भगवती नंदा ही योग माया है जो भगवान श्री कृष्ण की बहन थी कृष्ण के जन्म पर उन्हें मथुरा से गोकुल लाया गया था और वहां से नंद बाबा की कन्या को देवकी के पास मथुरा में कारगर में रख दिया था जब कंस को मालूम हुआ देवकी का सातवां गर्भ का बच्चा हो गया है उसको मारने की कोशिश की हाथ से वह बालिका छूट गरीब थी देवकन्या कंस के हाथ छूटने के बाद आकाश मार्ग चली गयी वही नंदा है और वह कन्या आकाशवाणी करती है कि हे दुष्ट तुझे मारने वाला पैदा हो चुका है आज भी नंदा को पीला वस्त्र भेंट किया जाता है स्वनुल देवी को लाल वस्त्र भेंट किए जाते हैं भनाई बुग्याल में जो शीला है उसको आज भी देव कन्या के रूप से पूजित किया जाता है। यह मंदिर हिमालय के 16000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। आज यहां पूजा अर्चना के बाद 12 किलोमीटर यात्रा पूरी कर रंग बिरंगी फूलों की क्यारीयों के मध्य होकर स्वनुल देवी की छतोली वापस फ्यूंलानारायण धाम पहुंचेगी। नारायण धाम पहुंचने पर भगवती से हसल कुशल पूछा जाएगा नंदा देवी के लोग जाकर गाथा गाने वाले देवेंद्र सिंह पंवार, लक्ष्मण सिंह पंवार रामचंद्र सिंह कंडवाल, रघुवीर सिंह चौहान जागर के माध्यम से संवाद करेंगे दो ग्रुप में लोग आपस में पूछेंगे हिमालय कैसा है किसने भगवती की दरबार को खोला और भगवान शंकर का कैलाश कैसा है किस दिशा में बंदर पूछ पर्वत है किस दिशा में कैलाश पर्वत है और किस दिशा में कहां नंदी नंदीकुंड है किस दिशा में सोना शिखर पर्वत है संवाद के बाद पुष्प वर्षा के देवीका आदर सत्कार होगा साथ ही उनका फ्यूंलानारायण मंदिर में भव्य स्वागत किया जाएगा। मेला कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सिंह ने बताया कि मेले की भव्य तैयारिया की गई है भक्तों के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई।

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