Udayprabhat
uttrakhandधर्म

बहुत बड़ा व श्रद्धा का दिन ,अमावस्या सर्व पितृ कार्य के लिए

18 सितम्बर बुधवार से प्रारम्भ होंगे पितृपक्ष:।

श्रद्धा से दिया गया ही श्राद्ध है

 पण्डित त्रिभुवन उप्रेतीश्रद्धायाम दीयते यत तत् श्राद्धम, अर्थात । 18 सितम्बर बुधवार से प्रारम्भ होंगे पितृपक्ष, 18 सितम्बर प्रतिपदा से 2 अक्टूबर अमावस्या तक रहेगी भूमंडल में पितरों की सरकार,।। प्रतिपदा तिथि क्षय होने षष्टी एवं सत्ती का श्राद्घ एक ही दिन होने से पितृपक्ष 15 दिन का ही होगा। पितृ श्राद्ध न करने वाले को लगता है पितृदोष, मांता पिता दोनों के न होने पर करें अष्टमी नवमी को करें मांता पिता का श्राद्घ। श्राद्धपक्ष में नित्य गाय को देना चाहिए गौग्रास। लड़की, भांजे व ब्राह्मण को भोजन कराने का श्राद्घ में होता है विशेष महत्व, बिना पितृ तर्पण व श्राद्ध के किसी भी यज्ञ व पूजा धार्मिक कार्यों का नहीं है महत्व। पितामह वाला श्राद्घ पिंड गर्भवती स्त्री को खिलाने से पुत्र की प्राप्ति होती है। किसी भी दशा में श्राद्ध को नहीं छोड़ना चाहिए, शास्त्रों की मर्यादा के अनुसार कहा गया है कि जो पुत्र अपने मृत मांता पिता का श्राद्घ तर्पण नहीं करता वह नरकगामी होता है उसके हाथ का अन्न क्या जल तक नहीं पीना चाहिए।। वर्ष में दो श्राद्ध करने की परम्परा है 1- मृत्यु तिथि इसे एकोदिष्ट श्राद्ध कहते हैं । 2- पार्वण श्राद्ध जिसे सोलह श्राद्ध के नाम से जाना जाता है।। तिथि के श्राद्ध को उसी दिन करना जरूरी होता है किसी कारण वश नहीं करने की स्थिति में इसे तीर्थ से उठाकर ही किया जा सकता है।। पार्वण श्राद्ध को पूरे पक्ष में कभी भी किया जा सकता है।। नवमी को केवल मातृ पक्ष का ही श्राद्ध होता है नवमी तिथि केवल मृत महिला के श्राद्ध हेतु आरक्षित हैं। अमावस्या सर्व पितृ कार्य के लिए बहुत बड़ा व श्रद्धा का दिन है अतः इस दिन तर्पण व रूके हुए श्राद्ध किये जा सकते हैं। श्राद्ध को निष्ठापूर्वक करें। श्राद्ध हेतु आवश्यक सामग्री —- चन्दन, जौं, तिल, फल, धूप, रूई, दीपक, वस्त्र, अन्न दान, घी, शहद, गाय का दूध, तुलसी, चावल, अनार, अखरोट, दाडिम,ककड़ी, खीर, पूरी शुद्ध पकवान, तेल, कुश, दोने, पंचमिठाई,पान सुपारी,गाय गोबर, पंचमेवा, गंगाजल, अन्य ।। श्राद्ध पक्ष की तिथियां — 18 सितम्बर 2024–पूर्णिमा एवं प्रतिपदा श्राद्ध, 19 सितम्बर 2024–द्बितीया श्राद्ध, 20 सितम्बर 2024–तृतीया श्राद्ध, 21 सितंबर 2024– चतुर्थी श्राद्ध, 22 सितंबर 2024–पंचमी श्राद्ध, 23 सितंबर 2024– षष्टी एवं सत्तमी श्राद्ध एक साथ,, 24 सितंबर 2024– अष्टमी श्राद्ध, 25 सितंबर 2024– नवमी, मातृ नवमी,अन्वष्टका श्राद्ध केवल मृत महिलाओं का, 26 सितंबर 2024—दशमी श्राद्ध, 27 सितम्बर 2024— एकादशी श्राद्ध, 28 सितंबर 2024– एकादशी श्राद्ध ।। केवल विकल्प।। से।।, 29 सितंबर 2024– द्वादशी श्राद्ध, 30 सितंबर 2024—त्रयोदशी श्राद्ध, 01 अक्टूबर 2024—चतुर्दशी श्राद्ध, 02 अक्टूबर 2024—पितृ विसर्जन, अमावस्या , श्राद्ध समाप्त, अमावस्या श्राद्ध।। पंडित त्रिभुवन उप्रेती संस्कार ज्योतिष भाग्य दर्पण कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड।

Leave a Comment