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उत्तराखंड के जंगलों में आग की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका की होगी सुनवाई

देहरादून। उत्तराखंड में वनाग्नि(Wildfire) की रोकथाम का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) अगले हफ्ते इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उत्तराखंड निवासी ऋतुपर्ण उनियाल ने उठाया है. उनियाल ने याचिका दायर कर मांग की है कि उत्तराखंड सरकार वनाग्नि से वनों, वन्यजीवों व जैव विविधता को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसओ बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने पहले ऋतुपर्ण उनियाल को इस मामले को हाईकोर्ट में दायर करने को कहा था. याचिकाकर्ता का कहना था कि इस मामले में उत्तराखंड(Uttarakhand) उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट स्थगनादेश दे चुका है तो सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी.
याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड के वनों में लगातार आग लगती रहती है, लेकिन केंद्र सरकार, राज्य सरकार व वन विभाग इसकी रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने में नाकाम रहे हैं. फायर सीजन में इस बार रुक-रुक कर बारिश होने की वजह से प्रदेश में जंगल आग की घटनाएं पिछले 10 वर्षों की तुलना में कम हुई हैं. हर साल 15 फरवरी से 15 जून की अवधि को फायर सीजन घोषित किया जाता है. इस साल सीजन में अभी तक जंगलों में आग की मात्र 126 घटनाएं हुई हैं, जिनमे लगभग 156 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है. ये आंकड़ा पिछले 10 सालों की तुलना में सबसे कम है. प्रभागीय वन अधिकारियों से फायर सीजन से इतर जंगल की आग के नियंत्रण के लिए होने वाले खर्च का ब्योरा भी मांगा गया है. वन विभाग फायर सीजन में करीब 25 करोड़ खर्च करता है. यह फायर वाचर की तैनाती, पेट्रोलिंग, फायर लाइन, उपकरण, वाच टावर, कंट्रोल टावर आदि पर खर्च किया जाता है. यह साल भर जारी रहे तो यह खर्च चार गुना हो जाएगा. वन मंत्रालय की ओर से फायर सीजन को साल भर जारी रखने का प्रस्ताव है. सर्दी में भी जंगल की आग के मामलों को देखते हुए वन विभाग ने अपने सभी प्रभागीय वन अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा है। इसके साथ ही कहा गया है कि साल भर के फायर सीजन में होने वाले खर्च के लिए भी प्रस्ताव बनाकर दें. बर्फबारी का मौसम होने के बाद भी प्रदेश में जंगल धधक रहे हैं. हालांकि अभी तक वनाग्नि का कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया है, लेकिन 175 हेक्टेयर से अधिक का जंगल किसी न किसी रूप में इसकी चपेट में आ गया है. प्रदेश में वनाग्नि के मामलों को देखते हुए फायर सीजन फरवरी से लेकर 15 जुलाई तक का है. इस दौरान जंगल की आग के अधिक मामले भी सामने आते हैं. इस बार सर्दियों में भी वनाग्नि के मामले सामने आ रहे हैं. इसी को देखते हुए प्रभागीय वनाधिकारियों से कहा गया है कि वे हर जंगल की आग पर निगाह रखें और वन पंचायतों, स्थानीय लोगों का सहयोग लेकर आग को बुझाने में तत्परता दिखाएं.

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