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डीपफेक भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

लोकसभा चुनाव में डीपफेक (Deepfake) भी चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डीपफेक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया गया। आरोपी को पुलिस ने धर दबोचा है। लोकसभा चुनाव के दौरान डीपफेक  वीडियो के प्रसार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह इस संबंध में चुनाव के बीच निर्वाचन आयोग को कोई निर्देश नहीं दे सकता है, न ही कोई नीति बना सकता है। डीपफेक का साया लोकसभा चुनाव पर भी दिखाई दे रहा है। पहले गृह मंत्री अमित शाह फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का डीपफेक वीडियो बनाया गया। तकनीक सही उपयोग के लिए बनाई जाती है लेकिन इसका दुरुपयोग भी हो रहा है। सीएम योगी का डीपफेक वीडियो ‘एक्स’ पर पोस्ट किया गया।   इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह भी डीपफेक का शिकार हो गए। उनके वीडियो और आवाज से छेड़छाड़ की गई। अमित शाह का जो वीडियो वायरल हुआ था, उसमें अमित शाह को आरक्षण को असंवैधानिक बताते हुए उसे खत्म करने का ऐलान करते हुए दिखाया गया था। जबकि असली वीडियो में शाह एसटी, एससी और ओबीसी आरक्षण को बनाए रखने की बात कहते हैं।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दुरुपयोग कर डीपफेक सामग्री तैयार की जा सकती है। लोकसभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहा है। आवाज और वीडियो का गलत इस्तेमाल शुरू हो गया है। कुछ दिन पहले पूर्व चीफ इलेक्शन कमीश्नर डॉ. एसवाई कुरैशी भी चुनाव में डीपफेक (Deepfake) को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। वे कहते हैं कि यह बहुत ही खतरनाक है। एआई के माध्यम से किसी के बारे में कुछ भी गलत संदेश तैयार किया जा सकता है। एक मिनट के भीतर किसी के बारे में अच्छा या गलत संदेश फैलाया जा सकता है। जब तक सच्चाई सामने आती है, लोगों में गलत मैसेज चला जाता है।डीपफेक न्यूज का एक निश्चित टाइम होता है, जिसे ‘थ्री फेस इफेक्ट डीपफेक कंटेंट’ कहा जाता है। फिर चाहे वो वीडियो हो या ग्राफिक। सीनियर आईटी एक्सपर्ट समीर शर्मा बताते हैं इसकी औसत आयु दो से तीन सप्ताह तक होती है।
जब किसी भी राजनेता से जुड़ा वीडियो वायरल हो जाता है, तो जिस समय वह वायरल हो जाता है। उसे बाद में फैक्ट चैक करके या खंडन करके निपटा जा किया जा सकता है, लेकिन तब तक लोगों की साइकोलॉजी बदल सकता है। अब जबकि चुनाव का समय चल रहा है। ऐसे में एक डीपफेक कंटेंट पहले सप्ताह में 80 प्रतिशत तक ‘पीक’ पर चला जाता है।यह प्राइवेसी यानी निजता कानून का उल्लंघन है। इस पर कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है।

डीपफेक सामग्री को डीप लर्निंग तकनीक की मदद से बनया जाता है। यही वजह है कि डीपफेक शब्द भी ‘डीप लर्निंग’ और ‘फेक’ शब्द से मिलकर बना है। डीप लर्निंग तकनीक के उपयोग से असली वीडियो को किसी अन्य वीडियो और फोटो के साथ बदल दिया जाता है। देखने में यह हुबहू रियल लगता है, पर नकली ही होता है।

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