25 साल बाद महिला क्रिकेट को मिला नया विश्व चैंपियन
47 साल बाद भारत ने जीती अपनी पहली महिला विश्व कप ट्रॉफी
नई दिल्ली। 47 वर्षों का लंबा इंतज़ार, अधूरे सपने और वर्षों की अथक मेहनत यह सब कुछ रविवार की रात उस एक पल में समा गया, जब कप्तान हरमनप्रीत कौर के नेतृत्व में भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार आईसीसी महिला वनडे विश्व कप अपने नाम किया।
यह केवल एक जीत नहीं थी, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों का चरमोत्कर्ष थी। यह जीत आधी आबादी को नया संबल देने वाली मिसाल है — उन सभी बेटियों के लिए प्रेरणा, जो अपने-अपने क्षेत्र में एक मुकाम हासिल करना चाहती हैं।

डी.वाई. पाटिल स्टेडियम पर जब दक्षिण अफ्रीका का अंतिम विकेट गिरा, तो पूरा देश “भारत माता की जय” के नारों से गूंज उठा।
इस ऐतिहासिक जीत के साथ भारतीय महिला क्रिकेट ने वह शिखर छू लिया, जहां अब वह दुनिया के शीर्ष पर खड़ी है।
भारत ने 1978 में पहली बार महिला विश्व कप में भाग लिया था। 2005 और 2017 में मिताली राज की कप्तानी में टीम फाइनल तक पहुंची, लेकिन दोनों बार खिताब हाथ से फिसल गया। आख़िरकार हरमनप्रीत की कप्तानी में भारत की महिला टीम विश्वविजेता बनी। महिला टीम की यह पहली आईसीसी ट्रॉफी है।
पुरुष टीम ने 1983 में कपिल देव और 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में वनडे विश्व कप जीता था। अब हरमनप्रीत की अगुआई में भारत की बेटियों ने भी विश्व चैंपियन का तमगा हासिल कर लिया है। यह जीत इस बात का प्रमाण है कि भारत की बेटियाँ अब केवल मैदान में हिस्सा लेने नहीं, बल्कि इतिहास रचने के लिए उतरती हैं।
मैच में भारतीय टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 7 विकेट पर 297 रन बनाए, जो महिला वनडे विश्व कप फाइनल का दूसरा सर्वोच्च स्कोर है। जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रन पर ऑलआउट हो गई। अफ्रीकी कप्तान लौरा वोल्वार्ट ने शानदार 101 रनों की शतकीय पारी खेली, लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सकीं।

इस ऐतिहासिक जीत के साथ भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने न केवल एक विश्व खिताब जीता,
बल्कि देश को गर्व से भर दिया —
“भारत की बेटियों ने कर दिखाया, अब दुनिया भी सिर झुकाएगी।”
