राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं— महिलाएं राज्य की ताकत हैं, वंदना कटारिया और सुशीला बलूनी बनीं उदाहरण
देहरादून: उत्तराखंड राज्य की स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सोमवार को राजधानी देहरादून स्थित विधानसभा भवन में एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में विधानसभा को संबोधित किया। राज्य के रजत जयंती वर्ष में आयोजित इस विशेष सत्र ने उत्तराखंड की लोकतांत्रिक यात्रा में एक नई ऐतिहासिक छाप छोड़ी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित किया: उत्तराखंड के राज्य स्थापना दिवस के रजत जयंती समारोह के मौके पर आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राजधानी देहरादून में विधानसभा को संबोधित करने के लिए पहुंचीं. इस दौरान विधानसभा का नजारा बेहद अलग दिखा. सभी विधायक पहाड़ी टोपी लगा कर विधानसभा की कार्यवाही के लिए पहुंचे. अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कई महत्वपूर्ण बातें कीं, लेकिन सबसे अधिक फोकस महिलाओं पर रखा.
महिलाओं की भूमिका पर राष्ट्रपति का विशेष जोर
अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने सबसे अधिक बल महिलाओं की भूमिका और योगदान पर दिया।
उन्होंने कहा —
वंदना कटारिया जो भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ी रहीं हैं, बछेंद्री पाल जो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की पहली महिला पर्वतारोही हैं और सुशीला बलूनी ने जो शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में प्रदेश का नाम रोशन किया, इन सबकी उपलब्धियां आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं. इन महिलाओं को देखकर और बेटियां आगे बढ़ेंगी और राज्य के लिए बहुत कुछ करेंगी.
-द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति
उत्तराखंड की उपलब्धियों और चुनौतियों का भी किया उल्लेख
राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विरासत, और अध्यात्मिक महत्व की सराहना करते हुए कहा कि यह राज्य हिमालय की गोद में बसे भारत के पर्यावरणीय संतुलन का प्रहरी है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड ने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद शिक्षा, पर्यटन, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को अपने पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार और पलायन की चुनौतियों से सामूहिक प्रयासों द्वारा निपटना होगा।
जब-जब राष्ट्रपति मुर्मू ने महिलाओं के योगदान और उपलब्धियों का उल्लेख किया, पूरा सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण और सभी विधायकों ने खड़े होकर राष्ट्रपति के उद्बोधन का स्वागत किया। यह सत्र उत्तराखंड की लोकतांत्रिक परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का एक जीवंत प्रतीक बन गया।
राष्ट्रपति के संबोधन ने उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष को एक नई दिशा और नई सोच दी।
उन्होंने अपने उद्बोधन के अंत में कहा —
> “उत्तराखंड ने 25 वर्षों में जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं, वे गर्व की बात हैं, लेकिन असली यात्रा अब शुरू होती है — जब यह राज्य अपनी मातृशक्ति के साथ मिलकर नए भारत के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाएगा।”
