रायपुर: छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस पर रायपुर को एक अनोखी सौगात मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय के रूप में विकसित किया गया है, जो आधुनिक तकनीक और वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से आदिवासी संस्कृति और उनके वीर नायकों की गाथा को सजीव करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह संग्रहालय भारत के आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास और उनकी आजादी की लड़ाई में भूमिका को नमन करने का माध्यम है। उन्होंने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि एक ही जगह पर इतने वीर नायकों की गाथाओं को साकार रूप में प्रस्तुत करना वाकई प्रेरणादायक है।
म्यूजियम की विशेषताएं:
कुल 16 गैलरियों का निर्माण किया गया है।
इनमें 650 से अधिक मूर्तियां और आधुनिक मल्टीमीडिया, वीएफएक्स तकनीक का उपयोग किया गया है।
संग्रहालय में आदिवासी वीर नायकों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानियां विस्तार से दर्शाई गई हैं।
यहां पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र और लोक-संस्कृति की झलक भी देखने को मिलती है।
म्यूजियम में परलकोट विद्रोह (1824-25), तारापुर विद्रोह (1842-63), मोरिया विद्रोह, रानी चो-चेरस आंदोलन, भूमकाल विद्रोह, लिंगा गढ़ विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, सरगुजा विद्रोह और भोपालपट्टनम विद्रोह जैसी ऐतिहासिक घटनाओं को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इनमें परलकोट विद्रोह का नेतृत्व जमींदार गेंद सिंह ने किया था, जिन्होंने अंग्रेजों और मराठा शासकों के अत्याचार के खिलाफ स्थानीय आदिवासियों को एकजुट किया। वहीं तारापुर विद्रोह का नेतृत्व दलगंजन सिंह ने किया था, जो मनमानी कर वसूली के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन था।
यह डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम भारत की विविध आदिवासी परंपराओं, लोक संस्कृति और उनके योगदान का जीवंत प्रतीक बन गया है। तकनीक और परंपरा के संगम से सजा यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का विषय है।
