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देहरादून: समर वैली स्कूल में छात्रों के फेल होने के मामले में रिश्वतखोरी और पेपर लीक के आरोप, अभिभावकों का विरोध

देहरादून: प्रतिष्ठित समर वैली स्कूल में 11वीं कक्षा के 37 छात्रों को जानबूझकर फेल करने की शिकायत के बाद अभिभावकों ने गुरुवार को स्कूल के मुख्य गेट पर आक्रामक प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यहाँ पेपर लीक और रिश्वतखोरी का भयानक खेल चल रहा है। प्रदर्शन में राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी (आरआरपी) के कार्यकर्ता भी शामिल हुए।

अभिभावकों के गंभीर आरोप:

अभिभावकों का दावा है कि स्कूल ने 32 से अधिक छात्रों को जानबूझकर फेल किया है, जबकि शेष छात्रों को पास किया गया जो शिक्षकों से निजी ट्यूशन लेते थे या रिश्वत देते थे। प्रदर्शनकारियों ने व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट और लीक हुए प्रश्नपत्रों की पीडीएफ फाइलें मीडिया को दिखाकर अपने आरोपों को मजबूती दी है। ये पेपर परीक्षा से एक सप्ताह पहले ही छात्रों को भेजे गए थे।

मुख्य बिंदु:

गणित शिक्षक आशीष कुमार यादव ने एक छात्र से 12,000 रुपये की रिश्वत ली।
रसायन विज्ञान का यूनिट टेस्ट पेपर 23 जनवरी को लीक हुआ था, जब इसे 27 जनवरी को आयोजित किया गया।
भौतिकी का फाइनल परीक्षा पेपर 20 फरवरी को लीक किया गया, जबकि परीक्षा 27 फरवरी को होनी थी।
भौतिकी का यूनिट टेस्ट पेपर 28 जनवरी को लीक हुआ, जो चार दिन बाद आयोजित हुआ।

आरआरपी का समर्थन: राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने स्कूल प्रबंधन और शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “इन शिक्षकों ने रिश्वत लेकर छात्रों को पास करने का काम किया है। ऐसे लोगों के खिलाफ नकल विरोधी कानून के तहत तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।”

शिकायतें और कार्रवाई की मांग:

अभिभावकों ने मानवाधिकार आयोग, जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग में स्कूल की मनमानी के खिलाफ शिकायत filed की है। सेमवाल ने चेतावनी दी है कि यदि स्कूल ने बाल संरक्षण आयोग के निर्देशों का पालन नहीं किया, तो वे उग्र आंदोलनों का सहारा लेंगे।

स्कूल प्रबंधन की चुप्पी:

इस मामले पर समर वैली स्कूल प्रबंधन की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। अभिभावक और NRP कार्यकर्ता धरने के दौरान स्कूल के मुख्य गेट पर जोरदार नारेबाजी करते रहे।

भविष्य की दिशा:

यह मामला देहरादून के शिक्षा क्षेत्र में एक गंभीर विवाद के रूप में उभर रहा है। अभिभावकों और आरआरपी ने स्पष्ट किया है कि वे तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे, जब तक दोषी शिक्षकों और प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन पर इस मामले की निष्पक्ष जांच का दबाव बढ़ रहा है।

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