उत्तराखंड: वर्षों से नियमितिकरण की मांग कर रहे उत्तराखण्ड के हजारों उपनल कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर सामने आ रही है। उपनल कर्मचारियों द्वारा उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में दायर की गई अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सकारात्मक रूख अपनाते हुए उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उपनल कर्मचारियों ने हाल ही में उत्तराखण्ड हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। जिसमें उपनल कर्मचारियों की ओर से कहा गया है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में संविदा कर्मियों को नियमित किये जाने के आदेश पारित किए थे, जिसके खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की थी। बीते 15 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने भी उत्तराखंड सरकार की ओर से दायर एसएलपी को खारिज करते हुए हाईकोर्ट द्वारा पारित नियमितिकरण के आदेश को यथावत रखा था बावजूद इसके सरकार की ओर से अभी तक नियमितीकरण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
उपनल कर्मचारियों द्वारा दायर इस अवमानना याचिका ‘उत्तराखंड उपनल संविदा कर्मचारी संघ बनाम राधा रतूड़ी मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार वाद संख्या क्लोन 402/2024’ पर बीते मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जहां उत्तराखण्ड सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के सम्बन्ध में रिव्यू पिटीशन दायर की। सरकार की ओर से मुख्य सचिव द्वारा रिव्यू पिटीशन में फैसला आने तक अवमानना याचिका को स्थगित करने की मांग की गई जिस पर उपनल संविदा कर्मचारी संघ की ओर से पैरवी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता जेएम शर्मा ने कहा कि रिव्यू दाखिल कर देने मात्र से आदेश की पालना नहीं रुक जाता। जिस पर कोर्ट ने उपनल कर्मचारियों पर सकारात्मक रूख अपनाते हुए उत्तराखण्ड सरकार से 4 सप्ताह के भीतर पूर्व के आदेश पर हुई कार्यवाही के संबंध में जवाब मांगा है।