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बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अवैध चल रहे मदरसों को बंद करने के लिए उठाए कदम

देहरादून: उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य सरकार द्वारा बिना आवश्यक स्वीकृति के संचालित अवैध चल रहे मदरसों को बंद करने के कदम का स्वागत करता है। यह निर्णय राज्य की इस प्रतिबद्धता के अनुरूप है कि सभी शैक्षिक संस्थान निर्धारित मानकों और नियमों का पालन करें। विशेष रूप से बच्चों के कल्याण और शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा के मामले में।

इस विकास के मद्देनजर, उत्तराखण्ड बाल अधिकार आयोग ने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है, कि उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाये कि इन अवैध मदरसों में वर्तमान में पढ़ाई कर रहे सभी बच्चों को तुरन्त मान्यता प्राप्त और उपयुक्त स्कूलों में शिक्षा प्रदान की जाए। आयोग यह जोर देता है कि बच्चों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नजदीकी और उपयुक्त स्कूलों में स्थानांतरित किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी बच्चों के लिए समावेशी, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल देता है, और आयोग इस प्रक्रिया में इसके कड़े कार्यान्वयन की अपील करता है।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने अन्य राज्यों से आकर मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों का शीघ्र स्थानांतरण करने का आह्वान किया है, ताकि उनकी शिक्षा में कोई विघ्न न आये। बच्चों को मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला दिया जा सकता है, और जहां आवश्यक हो, उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सुभाष चन्द्र बोस जैसे छात्रावास वाले विद्यालयों में उनका दाखिला करवाया जा सकता है। उत्तराखण्ड बाल अधिकार आयोग पुनः यह दोहराता है कि हर बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है और उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार किसी भी स्थिति में बाधित नहीं किया जा सकता। आयोग इन उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी जारी रखेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी बच्चे को उनकी शिक्षा के अधिकार से वंचित न किया जाए।

उक्त के क्रम में आयोग द्वारा महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा को पत्र प्रेषित करते हुए शिक्षा से के वंचित हो रहे बच्चों को निकटवर्ती सरकारी विद्यालयों में प्रवेश सुनिश्चित कराते हुए 31 S मार्च, 2025 से से पूर्व आयोग को विस्तृत आख्या उपलब्ध करवाने हेतु निर्देश दिये गये है। जिसकी प्रति सचिव, विद्यालयी शिक्षा एवं समस्त जिलाधिकारी को भी प्रेषित की गयी है।

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