देहरादून: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को एक डॉक्टर की विधवा को मुआवजा न देने को लेकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि मृतक डॉक्टर के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
दरअसल विधवा महिला पिछले नौ वर्षों से मुआवजे के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। उसके पति की 2016 में कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी गई थी। उस समय की सरकार ने परिवार के लिए 50 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की थी, लेकिन यह राशि अब तक नहीं दी गई है। सरकार ने मुख्य सचिव के माध्यम से मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रस्ताव रखा था, तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी। उसके बावजूद महिला को अनुदान राशि नहीं दी गई। बल्कि यह कहकर केवल एक लाख रुपये दिए गए कि लागू नियमों के अनुसार इतनी बड़ी राशि का भुगतान संभव नहीं है।
खंडपीठ ने कहा कि घटना की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, महिला को ब्याज सहित राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। इस प्रकार, लगभग 9 वर्षों के ब्याज को जोड़ते हुए, हम कुल राशि 1 करोड़ रुपये मानते हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को सूचित किया कि परिवार को पहले ही 11 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार परिवार को छुट्टियों का पैसा, ग्रैचुटी, जीपीएफ, फैमिली पेंशन और जीआईएस प्रदान किया गया, और उनके बेटे को स्वास्थ्य विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया।
राज्य सरकार की दलील सुनने के बाद, अदालत ने 1 करोड़ रुपये में से 11 लाख रुपये घटाकर मुआवजा राशि 89 लाख रुपये निर्धारित कर दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से अपनी मंजूरी का सम्मान ब्याज सहित करने का अनुरोध करते हुए रजिस्ट्री के समक्ष अनुपालन हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और मामले की अगली सुनवाई 22 अप्रैल को निर्धारित की गई है।