उत्तराखंड राज्य का 24वां स्थापना दिवस उत्साह से मनाए जाने की तैयारियां तेज हो गई है। वहीं, राज्य गठन के इतने साल बीत जाने के बाद भी राजधानी की बड़ी आबादी शुद्ध पानी के लिए तरस रही हैं। कई घरों तक तो पानी ही नहीं पहुंच पाया है। समय-समय पर प्रदर्शन के जरिये लोग मांग उठाते हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हो सका है।
दरअसल, राजधानी में आबादी का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। शहरी क्षेत्र की आबादी 10 लाख को पार कर गई है। महानगर दून का विस्तार होने के साथ ही वार्डों की संख्या 100 तक जा पहुंची है। ऐसे में पानी की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। दूसरी ओर आबादी के अनुपात में सुविधाओं का अभाव है। इसमें शुद्ध पेयजल की भारी दरकार है। शहरी क्षेत्र में जल संस्थान की दक्षिणी शाखा को छोड़कर बाकी रायपुर, उत्तरी और पित्थूवाला शाखा की दर्जनों कॉलोनियों के घरों तक पानी की आपूर्ति नहीं हो सकी है। रायपुर शाखा में दिव्य विहार, तुनवाला व हर्रावाला क्षेत्र, उत्तरी शाखा के आईटी पार्क, सहस्रधारा रोड के 300 घरों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है।
खासकर नई बसावटों और कॉलोनियों के बाहरी छोर पर बने घरों में पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। लोग निजी ट्यूबवेल, प्राकृतिक जल स्रोत और टैंकरों से पानी मंगवाकर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। उधर, पित्थूवाला शाखा के प्रिया लोक, श्रद्धा इन्क्लेव, प्रकाश लोक, महेश्वरी विहार व दून इन्क्लेव में अब भी पेयजल बड़ी समस्या बना हुआ है। इन कॉलोनियों के 520 घरों को निजी ट्यूबवेल के सहारे पानी की जरूरतों को पूरा करना पड़ रहा है। हालांकि, यहां कॉलोनियों के कुछ हिस्सों में पुरानी लाइन बिछी है, लेकिन उससे पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसके अलावा तेजी से कॉलोनियों के विस्तार से भी पानी की समस्या खड़ी हो रही है।