प्रदेश में पहली बार कांच उद्योग समेत अन्य जगहों में उपयोग में आने वाली सिलिका रेत के खनन की तैयारी है। इसके लिए उत्तरकाशी में नौ जगहों (215 हेक्टेयर) को चिह्नित किया गया है। इसके खनन की तैयारी में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग जुट गया है।
हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने की योजना है। अभी तक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग कुमाऊं और गढ़वाल मंडल की नदियों में खनन करता है। इसके अलावा बागेश्वर में खड़िया की निकासी होती है। इससे विभाग को खासा राजस्व प्राप्त होता है।
अब विभाग नए क्षेत्र में राजस्व तलाश कर रहा है। इसी के तहत उत्तरकाशी जिले में सिलिका रेत के खनन की तैयारी है। इसके लिए उत्तरकाशी में नौ जगहों को चिह्नित किया गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, सिलिका रेत से जुड़ी टेस्टिंग का काम भी हो चुका है। अब चिह्नित जगहों का सत्यापन का काम चल रहा है।
इसमें जहां पर सिलिका रेत निकाला जाना है, वह भूमि राजस्व, वन विभाग या निजी है, उसके बारे में पता किया जा रहा है। विभाग की हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने की योजना है। इस कार्य को बोली के माध्यम से दिया जाएगा। इसका बेस लाइन मूल्य 15 करोड़ रुपये रखा जाएगा।
सिलिका रेत के खनन से पहले कई प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा। इसमें खनन योजना, सीमांकन, पीसीबी की अनुमति से लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। इसके बाद खनन शुरू हो सकेगा। विभाग का प्रयास है कि इस महीने टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए।