एससीईआरटी ने राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा का ड्राफ्ट तैयार कर लिया। इसके बाद कक्षा तीन से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम में 30 फीसदी कोर्स राज्य के हिसाब से शामिल होगा। छात्र न सिर्फ कवि चंद्र कुंवर बर्त्वाल की कविता, पंवार और कत्यूर राजवंश बल्कि मध्य हिमालय क्षेत्र के वनों एवं राज्य के इतिहास को पढ़ सकेंगे।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार होने के बाद एससीईआरटी ने राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा का ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसे अंतिम रूप दिए जाने के बाद हमारे इतिहास, भूगोल, सांस्कृतिक परंपराएं आदि के आधार पर पाठ्य पुस्तकों को विकसित किया जाएगा।
छात्र-छात्राएं पाठ्यक्रम में पंवार वंश और कत्यूर राजवंश समेत विभिन्न राजवंशों ने गढ़वाल व कुमाऊं में क्या काम किया उसे पढ़ सकेंगे। उत्तराखंड के मध्य हिमालय क्षेत्र की मिट्टी, पानी, वर्षा आदि को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। भूगोल, अर्थशास्त्र व राजनीति विज्ञान समेत अन्य विषयों में भी राज्य की संपूर्ण जानकारी होगी।
निदेशक एससीईआरटी बंदना के मुताबिक राज्य पाठ्यचर्या की रुपरेखा का ड्राफ्ट तैयार किए जाने के बाद इसे सुझाव के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में रखा जाएगा। उनके सुझाव के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसके आधार पर पाठ्य पुस्तकें विकसित की जाएंगी।