संसद के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन चुका है। अहम कानूनी बदलावों को कई पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पक्षों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने दो सवाल हैं, पहला- क्या उसे मामले की सुनवाई करनी चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए और दूसरा- वकील किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं.
कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “स्टेट कौन होता है यह बताने वाला कि मेरे धर्म में उत्तराधिकार कैसे होगा?” सिब्बल का जवाब देते हुए CJI खन्ना ने कहा, “लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा होता है.. इसलिए संसद ने मुसलमानों के लिए कानून बनाया है.. हो सकता है कि यह हिंदुओं जैसा न हो… अनुच्छेद 26 इस मामले में कानून बनाने पर रोक नहीं लगाएगा.. अनुच्छेद 26 यूनिवर्सल है और यह इस मायने में धर्मनिरपेक्ष है कि यह सभी पर लागू होता है.
हाल में सदन से पास हुआ था एक्ट
बता दें कि केंद्र ने हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया, जिसे दोनों सदनों में गरमागरम बहस के बाद संसद से पारित होने के बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली.
केंद्र ने 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट दायर की तथा मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग की. किसी पक्ष द्वारा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसे सुने बिना कोई आदेश पारित न किया जाए.