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एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट बताकर 47 लाख की ठगी करने वाला आगरा से दबोचा

देहरादून। एसटीएफ के साईबर थाना कुमाऊँ परिक्षेत्र पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट बताकर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह के सरगना को आगरा उत्तर प्रदेश से किया गिरफ्तार किया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह द्वारा जानकारी देते हुये बताया कि एक प्रकरण जनपद नैनीताल निवासी पीड़ित ने दिसम्बर 2024 में दर्ज कराई। जिसमें उनके द्वारा माह दिसम्बर 2024 में उन्हें व्हाटसप व स्काईप एप पर अज्ञात नम्बरों से कॉल कर उनके आधार कार्ड पर सिम लेकर उससे अवैध लेन-देन की बात कहकर मनी लॉण्ड्रिंग से सम्बन्धित अभियोग दर्ज होने की बात कहकर डिजिटल अरेस्ट कर उपलब्ध कराये गये विभिन्न बैंक खातो में लगभग 47 लाख रुपये की धनराशी धोखाधड़ी से जमा करायी गयी.
प्रकरण की गम्भीरता के दृष्टिगत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ उत्तराखण्ड के दिशा निर्देशन में विवेचना अरूण कुमार प्रभारी निरीक्षक, साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन, कुमाऊँ परिक्षेत्र, रूद्रपुर के सुपुर्द कर अभियोग के शीघ्र अनावरण हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये. प्राप्त निर्देशों के क्रम में साईबर क्राईम पुलिस द्वारा घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/ रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों / व्हाट्सअप / सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनियों, मेटा कम्पनी से प्राप्त डेटा का विश्लेषण कर महत्वपूर्ण साक्ष्य संकलित किये गये.
तत्पश्चात पुलिस टीम द्वारा तकनीकी / डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना के मास्टर मांइड व मुख्य आरोपी अमन कुशवाहा पुत्र विनोद कुशवाहा निवासी म0नं0 26/133, मंगलेश्वर ताल के पास, गोकुलपुरा, थाना लोहामण्डी, जनपद आगरा उत्तर प्रदेश को चिन्ह्ति करते हुये अभियुक्त की तलाश जारी की तथा गिरफ्तारी हेतु कई स्थानो पर दबिशें दी गयी । साईबर टीम की मेहनत एवं प्रयास से तकनीकी संसाधनों का प्रयोग करते हुये साक्ष्य एकत्रित कर अभियोग में प्रकाश में आये अभियुक्त अमन कुशवाहा निवासी उपरोक्त को कमिश्नरेट थाना लोहामण्डी आगरा से गिरफ्तार कर घटना में प्रयुक्त 1 अदद मोबाइल फोन, 1 सिम कार्ड एवं 1 आधार कार्ड बरामद किया गया है।

साईबर अपराधियों द्वारा पीडित को व्हाटसप / स्काईप एप के माध्यम से वीडियो / आडियो कॉल कर उन्हें उनके आधार कार्ड से सिम कार्ड जारी सिम होने की बात कहकर एवं उस सिम के द्वारा अवैध लेन-देन की बात कहकर, मनी लॉण्ड्रिंग के आरोप में फंसाये जाने की बात कह कर उन्हें डिजिटली अरेस्ट कर लिया जाता था, जिसके लिए साईबर अपराधियों द्वारा व्हाटसप व स्काईप एप का प्रयोग किया जाता था पीडित को एजेन्सियों का भय दिखाने के लिये उनको आरबीआई, सीबीआई के नाम पर एप से ही नोटिस भेजे जाते थे जिससे पीडित में भय बना रहे। डिजिटल अरेस्ट की अवधि के दौरान पीडित को अपने किसी रिश्तेदार, सहकर्मी व परिवारजनों के साथ सम्पर्क में नहीं रहने की हिदायत दी जाती थी। तथा गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती थी। डिजिटल अरेस्टिंग के दौरान अभियुक्त द्वारा पीडित को बताये गये फर्जी खातों में धनराशि स्थानान्तरित करने को बोला जाता था तथा रजिस्टर्ड मनी लॉण्ड्रिंग के केस से बचा लेने व खातों में भेजी गयी धनराशि को रिफाईन करने के पश्चात वापस करने का झांसा दिया जाता था । जिससे पीडित साईबर अपराधियों के झांसे में आकर उनके बताये गये खातों में धनराशि जमा कर देते थे।
प्रारम्भिक पूछताछ में अभियुक्त ने साईबर अपराध हेतु जिस बैंक खाते का प्रयोग किया गया है उसमें मात्र 1 माह से कम समय में ही लाखों रूपयों का लेन-देन होना प्रकाश में आया है.  जाँच में यह भी प्रकाश में आया है कि अभियुक्तगण के बैंक खाते के विरुद्ध देश के कई राज्यों में कुल 3 साईबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं ।

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