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त्योहार: कहीं खुशी खरीदी जा रही है, कहीं बिक रही है!

मानवी सजवान..

त्योहार हमारे जीवन का वह समय होते हैं जब खुशियाँ चारों ओर फैलती हैं। रंग, रोशनी, मिठाइयाँ और उपहार—ये सब त्योहार की पहचान हैं। पर क्या हमने कभी यह सोचा है कि हर घर में ये खुशियाँ एक जैसी नहीं होतीं? कहीं खुशी खरीदी जाती है, तो कहीं बिक जाती है। यही आज का सच है।

किसी घर में त्योहार का आनंद ‘सामान खरीद कर’ मनाया जाता है। नए कपड़े, मिठाइयाँ, सजावट और उपहार—सब कुछ खरीदकर त्योहार को खास बनाया जाता है। घर में रोशनी, रंग-बिरंगे दीपक और मिठास भरी महक माहौल को जीवंत बना देती है। बच्चों की हँसी, परिवार की एकता और दोस्तों के साथ बिताया गया समय—ये सब त्योहार की असली खुशियाँ हैं। ऐसे घरों में खुशी केवल चीजों में नहीं, बल्कि साझा अनुभवों में महसूस होती है। छोटा सा पकवान, हाथ से सजाया घर, या प्रियजनों के साथ बिताए गए पल—ये यादें जीवन भर साथ रहती हैं।

लेकिन कहीं और, कुछ लोगों के लिए त्योहार केवल ‘सामान बेच कर’ मनाया जाता है। छोटे व्यापारी, मेहनतकश लोग और वे जो रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष करते हैं, उनके लिए त्योहार केवल आय का साधन बन जाता है। उनकी थकान और मेहनत उन्हें त्योहार का असली आनंद लेने नहीं देती। पैसों के पीछे भागते हुए वे केवल व्यस्तता महसूस करते हैं, खुशी नहीं। उनके लिए त्योहार की चमक केवल व्यवसाय और जिम्मेदारियों तक सिमट जाती है।

यह सोचने वाली बात है कि क्या खुशी केवल चीजों में होती है? त्योहारों की असली मिठास रिश्तों, प्यार और साझा अनुभवों में है। महंगी मिठाई, चमकदार लाइट या नए कपड़े केवल एक अस्थायी खुशी दे सकते हैं, लेकिन बच्चों की मुस्कान, परिवार की हँसी और एक-दूसरे के लिए किया गया छोटा सा प्रयास—ये असली खुशी हैं। यही चीजें हमें महसूस कराती हैं कि त्योहार केवल दिखावे का नहीं, बल्कि दिल से जश्न मनाने का अवसर हैं।

आज की तेज जीवनशैली में, हमें यह याद रखना चाहिए कि त्योहार केवल खरीदारी का बहाना नहीं हैं। यह अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने, प्यार बांटने और रिश्तों को मजबूत करने का मौका हैं। जब हम दूसरों के लिए कुछ करते हैं, दिल से मुस्कुराते हैं और एक-दूसरे की खुशी में शामिल होते हैं, तभी त्योहार का असली महत्व समझ आता है।

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