पंच केदार के चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में मिलो तक खिले हैं सैकड़ों प्रजाति के फूल
वैसे तो पंच केदार की खूबसूरतियां से सभी परिचित हैं किंतु भगवान शंकर के चतुर्थ केदार की महिमा ही निराली है जहां भगवान का मुखारविंद की पूजा का विधान और हिमालय में एकमात्र मंदिर है जहां भगवान शंकर के सर की पूजा होती है उस स्थान का नाम है रुद्रनाथ रुद्रनाथ में भगवान शंकर का रूद्र रूप है ऐसी मान्यता है कि जब पांडवों ने अपने भाइयों कौरवों की हत्या के बाद गोत्र हत्या से मुक्ति के लिए पंच केदारो के दर्शन किए थे उसमें रुद्रनाथ भगवान ने उन्हें रूद्र रूप में दर्शन दिया आज भी भगवान का मुखारविंद थोड़ा तिरछे रूप में है यहां आज कल सुंदर मखमली फूलों की क्यारियां चारों तरफ से खिली हुई है मिलो तक पसरा हुआ बुग्याल एवं फूलों की क्यारियां यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों का मन मोह लेती है आजकल यहां श्रावण मास में रुद्रनाथ मंदिर में रुद्रनाथ कल्प महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सैकड़ो गांव की ग्रामीणों के द्वारा इस यात्रा में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ है इसी अवसर पर रुद्रनाथ की पुजारी वेद प्रकाश भट्ट महादेव भट्ट के द्वारा सुंदर आयोजन किया गया है किंतु यहां रुद्रनाथ क्षेत्र में 10 किलोमीटर परिधि में फैला हुआ मखमली बुग्याल और यहां निरंतर खिलने वाले नाना प्रकार के फूल एवं वनस्पतियों की सुंदरता को देखकर मन ठगा सा रह जाता है वैसे यह ट्रैक 19 किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद रुद्रनाथ मंदिर में पहुंच जाता है बीच-बीच में फूलों की क्यारियां यहां आने वाले लोगों की थकान को हर देते हैं चारों ओर हिमालय की सुंदर वादियां एवं पहाड़ों का सौंदर्य झरनों और वनों का आवरण बहुत ही हृदय को गदगद करने वाले होता है और यहां आजकल कई प्रकार के फूल जिसमें प्रिय रोज वात्स्नाभ, कुटकी, निलेरी पिलेनरी, जाटा मासी, सालम पंजा, हाथा जड़ी पाषाण भेद सहित सहित सैकड़ो प्रजातियां आजकल अपने यौन अवस्था में है। यदि आपको इन फूलों की वाटिकाओं को देखना है तो माह अगस्त और 15 सितंबर के बीच का समय अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है जब यहां सब फूल अपने यौवन अवस्था में होते हैं। रुद्रनाथ कैसे पहुंचे यह हिमालय का बड़ा दुर्गम और कठिन रास्ता है आपके पास विकल्प है आप गोपेश्वर के अति निकट सगर गांव से 19 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर यहां पहुंच सकते हैं और दूसरा रास्ता पंच केदार के पंचम केदार श्री कल्पेश्वर से उर्गम घाटी होते हुए कलगोठ,डुमक के रास्ते होकर रुद्रनाथ पहुंच सकते हैं यह रास्ता भी लगभग 30 से 35 किलोमीटर है किंतु इस रास्ते में दो केदार के दर्शन हो जाते हैं जिसमें कल्पेश्वर और रुद्रनाथ मंदिर का दर्शन हो सकते हैं।