ग्लोबल वार्मिंग, मानवजनित लापरवाही और अत्याधुनिक संसाधनों के बजाय वन विभाग का परंपरागत तरीकों पर निर्भर रहना जंगलों में आग के दायरे को लगातार बढ़ा रहा है।
देश में हर साल जंगल जलने का दायरा बढ़ रहा है।
नवंबर 2023 से छह मई तक उत्तराखंड में 1196 हेक्टेयर जंगल जल चुका है। तीन साल में अप्रैल 2024 ऐसा महीना रहा है जब देश में जंगलों में आग लगने की सर्वाधिक 5020 घटनाएं हो चुकी हैं। केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उड़ीसा छत्तीसगढ़ आंध प्रदेश समेत तमाम राज्यों में साल दर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं।जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने को सरकार प्रयास में जुटी है। नैनीताल के बाद पौड़ी में भी वायु सेना हेलीकाप्टर आग बुझाने के लिए मंगाया गया।
71 प्रतिशत वन वाले उत्तराखंड में नौबत यहां तक आ गई कि फील्ड पर सेना के जवान उतारने पड़े तो आसमान से वायुसेना ने पानी की बौछार की। अब सरकार ने और सख्ती करते हुए आग लगाने वालों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए हैं।
केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध प्रदेश समेत तमाम राज्यों में साल दर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। तीन साल में अप्रैल 2024 ऐसा महीना रहा है जब देश में जंगलों में आग लगने की सर्वाधिक 5020 घटनाएं हो चुकी हैं।फायर सीजन होने के कारण भारतीय वन सर्वेक्षण अलग-अलग राज्यों को रोजाना अलर्ट जारी करने के साथ स्वयं भी निगरानी करता है। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2022 में देश में 4957 घटनाएं सामने आई थी। 2023 में यह आंकड़ा 4281 था। अप्रैल 2024 की रिपोर्ट चिंताजनक है। इसमें शीर्ष पांच राज्य में उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश है। उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग की चपेट में आकर अब तक पांच लोगों की मौत होने के साथ चार गंभीर घायल भी हो चुके हैं
जंगलों की आग पर नियंत्रण पाने को सरकार प्रयास में जुटी है। नैनीताल के बाद पौड़ी में भी वायु सेना हेलीकाप्टर आग बुझाने के के लिए मंगाया गया। महिला समूह, मंगल दल, होमगार्ड, पुलिस, अग्निशमन व राजस्व विभाग के अलावा एसडीआरएफ व एनडीआरएफ को भी जिम्मेदारी दे दी गई है। बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान में जिला पंचायती राज अधिकारी के नेतृत्व में हर जिले के गांवों में खुली बैठकें आयोजित की जा रही है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा हैंकि आग लगाने की घटनाओं में शामिल लोगों के विरुद्ध अब गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।जंगलों में आग की बड़ी वजह मानवीय गतिविधियां भी हैं। 2020 में लाकडाउन के चलते उत्तराखंड में पूरे फायर सीजन में 172.69 हेक्टेयर ही जला, जबकि इस साल छह मई तक यह आंकड़ा 1196 हेक्टेयर पहुंच चुका है। जंगलों में आग लगाने के आरोप में 374 पर प्राथमिकी हुई है।
उत्तराखंड में आग की वजहें
सर्दियों में हिमपात में कमी और बरसात के न होने से जंगलों में नमी कम होना।
चीड़ वाले जंगल से पिरुल की निकासी समय पर न होना।
राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आग को बढ़ने से रोकना बड़ी चुनौती।
संवाद और सामंजस्य में कमी के कारण वन विभाग को ग्रामीणों का साथ नहीं मिलता।
स्थिति को पहले से न भांपने के कारण हालात बेकाबू होने के बाद नियंत्रण पाना मुश्किल