यूपीसीएल के 4,300 करोड़ की उपभोक्ताओं से वसूली या सरकार से एडजस्टरमेंट के पुराने-हिसाब किताब की वजह से नए वित्तीय वर्ष का बिजली दरों का प्रस्ताव अटक गया है। यूपीसीएल ने नियामक आयोग से 15 दिन का समय मांगा है।
उधर, 4,300 करोड़ के मामले पर अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक में समाधान निकाला जाएगा। यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में 1,058 करोड़ के एसेट्स और देनदारियां आईं थीं। इनमें से 508 करोड़ का निपटारा तो यूपी के टैरिफ और फिर उत्तराखंड के टैरिफ में हो गया था, लेकिन बचे हुए 550 करोड़ को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ था।