बंद घर के अंदर पहले कहासुनी और फिर गोली मारकर तीन जिंदगियां खत्म हो गईं, लेकिन हत्या और आत्महत्या का सही कारण भी बंद घर में ही दफन होकर रह गया। तीनों में से अगर किसी की जिंदगी बची होती तो तस्वीर साफ हो सकती थी। इतने बड़े आत्मघाती कदम उठाने के पीछे आखिर क्या वजह रही होगी।
पुलिस प्रथम दृष्टया गृह क्लेश के साथ ही संपत्ति विवाद को भी जोड़कर देख रही है। परिजनों से भी बातचीत की गई, लेकिन कोई ठोस वजह सामने नहीं पाई है। पुलिस के मुताबिक, करीब 30 साल पहले भेल कर्मी जगदीश चंद्र दीपक की बेटी सुनीता से आर्यनगर ज्वालापुर निवासी राजीव अरोड़ा ने प्रेम विवाह कर दिल्ली में बसकर नौकरी की शुरुआत की थी।
सुनीता भी एक कंपनी में काम करने लगी। सुनीता के पिता जगदीश चंद्र दीपक की साल 1973 में मौत के बाद उसकी मां शकुंतला दीपक को बीएचईएल में नौकरी मिली थी। 78 वर्षीय शकुंतला को दिल की बीमारी के साथ ही अन्य रोग भी ग्रस्त थे। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।