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हाईकोर्ट से एलटी भर्ती पर लगी रोक हटी, 1544 पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ

हाईकोर्ट ने यूकेएसएसएससी की एलटी भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक हटाई
पटवारी (अब राजस्व उप-निरीक्षक) की वरिष्ठता नियुक्ति तिथि के आधार पर तय होगी
अल्मोड़ा डीएम को तीन माह में अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करने के निर्देश

नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। सहायक शिक्षक (एलटी) भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को हटा दिया गया है। इसके साथ ही 1544 पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।

यूकेएसएसएससी (UKSSSC) की ओर से सहायक शिक्षक (एलटी) के लिए 14 मार्च 2024 को भर्ती विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें 786 पद गढ़वाल मंडल और 758 पद कुमाऊं मंडल के लिए निर्धारित थे। 18 अगस्त 2024 को विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर लिखित परीक्षा आयोजित की गई थी।

गलत आरक्षण को लेकर लगी थी रोक

भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई और हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कीं। गोपीचंद व अन्य, अरशद अली, सुषमा रानी और शीतल चौहान ने अलग-अलग याचिकाओं में भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी। इसके बाद न्यायालय ने भर्ती परीक्षा के परिणामों पर रोक लगा दी थी।

मंगलवार को न्यायालय ने सभी मामलों पर अंतिम निर्णय सुनाते हुए भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को हटा दिया। साथ ही, कुछ अभ्यर्थियों से संबंधित मामलों में यूकेएसएसएससी को पदों को रिक्त रखने के निर्देश भी दिए गए हैं, जिससे बाद में उनके मामलों का निस्तारण किया जा सके।

पटवारी वरिष्ठता विवाद पर हाईकोर्ट का अहम निर्णय

एलटी भर्ती मामले के साथ ही नैनीताल हाईकोर्ट ने पटवारी (अब राजस्व उप-निरीक्षक) की वरिष्ठता विवाद से जुड़ी कई याचिकाओं को भी निपटाया। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि वरिष्ठता का निर्धारण प्रशिक्षण में प्राप्त अंकों के बजाय वास्तविक नियुक्ति की तिथि के आधार पर होगा।

मुख्य याचिकाकर्ता मनीष कुमार (अल्मोड़ा) ने दावा किया था कि उन्होंने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में अन्य अभ्यर्थियों से अधिक अंक प्राप्त किए थे, इसलिए वरिष्ठता सूची में उनका नाम ऊपर होना चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पटवारी सेवा नियमावली, 1963 के नियम 15 का हवाला देते हुए कहा कि वरिष्ठता नियुक्ति की तिथि से तय होती है। केवल तभी, जब दो या अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्ति एक ही दिन हो, तो प्रशिक्षण अंकों को वरिष्ठता निर्धारण में माना जाएगा।

मंडल स्तर पर वरिष्ठता निर्धारण

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि पटवारी का कैडर जिला स्तर पर होता है, जबकि सुपरवाइजर कानूनगो/राजस्व निरीक्षक पदों पर पदोन्नति मंडल स्तर पर होती है। 1983 के नियमों के अनुसार, मंडल स्तर पर वरिष्ठता सभी जिलों के पटवारियों की वास्तविक नियुक्ति तिथि के आधार पर पुनर्निर्धारित की जाती है।

इस आधार पर न्यायालय ने पाया कि जिन अभ्यर्थियों की नियुक्ति 5 मई 2007 तक हो चुकी थी, वे स्वाभाविक रूप से वरिष्ठ माने जाएंगे, भले ही उनके प्रशिक्षण अंक कम हों। मनीष कुमार की नियुक्ति 15 मई 2007 को हुई थी, इसलिए वे कनिष्ठ माने गए।

डीएम अल्मोड़ा को निर्देश

न्यायालय ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा को निर्देश दिया कि वे उत्तराखंड सरकारी सेवक वरिष्ठता नियमावली, 2002 के नियम 9 के तहत आपत्तियों का निस्तारण कर तीन माह के भीतर अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करें। अन्य सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।

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