नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी. आर. गवई ने सोमवार (27 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी और देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की।
पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायाधीश गवई को पत्र लिखकर अगले मुख्य न्यायाधीश के नाम की सिफारिश मांगी थी। हालांकि, उस समय मुख्य न्यायाधीश गवई भूटान के आधिकारिक दौरे पर थे। वापसी के तुरंत बाद उन्होंने सोमवार (27 अक्टूबर) को यह सिफारिश की और जस्टिस सूर्यकांत से मिलकर अनुशंसा पत्र सौंपा। यह दीपावली अवकाश के बाद न्यायालय का पहला कार्य दिवस था।
मुख्य न्यायाधीश गवई 24 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे।
मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए बनाए गए “मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर” के अनुसार, विधि मंत्रालय सेवानिवृत्त हो रहे मुख्य न्यायाधीश से उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। इसके बाद वर्तमान सीजेआई की सिफारिश के आधार पर अगली नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होती है।
जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के कई अहम और ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं —
अनुच्छेद 370 को रद्द करने वाला फैसला, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हुआ।
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाला निर्णय।
पेगासस जासूसी मामला और राजद्रोह कानून के निलंबन से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली पीठों में भी वे शामिल रहे।
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार (हरियाणा) में हुआ था। उन्होंने हिसार से स्नातक करने के बाद महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से 1984 में एलएलबी की डिग्री हासिल की। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हिसार जिला अदालत से की और 1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ में वकालत शुरू की।
वे 7 जुलाई 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता (Advocate General) बने और मार्च 2001 में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित हुए। उन्हें 9 जनवरी 2004 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
बाद में अक्टूबर 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
वे 9 फरवरी 2027 को सेवानिवृत्त होंगे।
