अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दौड़ में रह गए पीछे, नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने किया ऐलान
ओस्लो (नॉर्वे)। ओस्लो स्थित नॉर्वेजियन नोबेल संस्थान में 10 अक्टूबर को प्रतिष्ठित 2025 नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा कर दी गई। इस वर्ष यह सम्मान वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए उनके अथक प्रयासों और तानाशाही से लोकतंत्र की दिशा में शांतिपूर्ण परिवर्तन के संघर्ष के लिए प्रदान किया गया है। वहीं, काफी चर्चा में रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बार भी यह पुरस्कार पाने से चूक गए।
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने घोषणा में कहा कि मचाडो ने न केवल अपने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की अलख जगाई है, बल्कि उन्होंने बढ़ते दमन और अंधकार के बीच लोकतंत्र की लौ को जीवित रखा। समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने उन्हें “शांति की एक साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक” बताया।
इस वर्ष पुरस्कार को लेकर खासा रोमांच बना हुआ था क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वयं को इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए नामित करने की बात कही थी। उनका दावा था कि उन्होंने दुनिया भर में युद्धों को समाप्त करने के लिए अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, नॉर्वेजियन समिति ने स्पष्ट किया कि हर वर्ष उन्हें हजारों नामांकन मिलते हैं और समिति बंद कमरे में स्वतंत्र रूप से निर्णय लेती है।
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
7 अक्टूबर 1967 को कराकास में जन्मी मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की एक प्रमुख विपक्षी नेता, औद्योगिक इंजीनियर और मानवाधिकार अधिवक्ता हैं। वह मनोवैज्ञानिक कोरिना पेरिस्का और व्यवसायी हेनरिक मचाडो ज़ुलोआगा की सबसे बड़ी बेटी हैं। उन्होंने एंड्रस बेलो कैथोलिक यूनिवर्सिटी से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की और कराकास स्थित IESA से वित्त में मास्टर डिग्री हासिल की।
2002 में, उन्होंने स्मेट नामक एक संगठन की सह-स्थापना की, जो चुनाव निगरानी और नागरिक अधिकारों के लिए काम करता है। 2013 में वह उदार राजनीतिक दल वेंटे वेनेजुएला की नेशनल कोर्डिनेटर बनीं। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने ह्यूगो शावेज और निकोलस मादुरो की सरकारों का मुखर विरोध किया और लोकतंत्र, मानवाधिकारों व कानून के शासन की लगातार वकालत करती रही हैं।
शांति को बढ़ावा देने वालों को दिया जाता है पुरस्कार
नोबेल शांति पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जिन्होंने विश्व शांति, संघर्ष समाधान और मानवाधिकारों के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो। यह चयन नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा किया जाता है और हर वर्ष अक्टूबर में ओस्लो में इसकी घोषणा होती है।
इस वर्ष मारिया कोरिना मचाडो का चयन न केवल वेनेजुएला के लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष की जीत के रूप में देखा जा रहा है.
